शनिवार, जुलाई 02, 2011
केहू कहै कहूँ धइले जरूर बा,आय तबै यस बा जिद्हियाइल,
केहू हंसै,तर बान कसै,मोरे राजा से आज भले बा भेंटाइल //
देखै शकुन्तला आँख उठाई के ,चारिउ ओर जमात खड़ी बा ,
बईठल बा उहै आज इहाँ ,जेकरे मथवा घर कै पगड़ी बा /
राई गिरै न गिरी भुंइयां,भल लागल भीड़ बड़ी तगड़ी बा ,
जीतल बाजी निहारै सबै ,जनु हारै बदे ऊ एकेलै खड़ी बा //
भाई निहारति,माई नहारति,देखि सबै अंसुवा मिलि गारत ,
राजा अ परजा निहारै सबै ,केहू बात चढ़ावत केहू उतारत /
सूरज-चान लखै बदरा,केहू मेटत बा केहू बा कुछ पारत ,
खोजाति बा सुघरी -सुघरी अंगुरी त मिलै,मुनरी बा नदारत //
सांप के सूंघे शरीर भै सुन्न,न काटे पे खून बहै नसिया में ,
आंखि ढपे तरुवा चटकै,चिनगी बरसै पुतरी अंखिया में /
धई मथवा,हथवा बईठै,कहूँ ,ना गिरलीं रहिया -बटिया में ,
हे !भगवान् ई का कइला ,मुनरी न मिलै अंगुरी गंठिया में //
केहू हंसै,तर बान कसै,मोरे राजा से आज भले बा भेंटाइल //
देखै शकुन्तला आँख उठाई के ,चारिउ ओर जमात खड़ी बा ,
बईठल बा उहै आज इहाँ ,जेकरे मथवा घर कै पगड़ी बा /
राई गिरै न गिरी भुंइयां,भल लागल भीड़ बड़ी तगड़ी बा ,
जीतल बाजी निहारै सबै ,जनु हारै बदे ऊ एकेलै खड़ी बा //
भाई निहारति,माई नहारति,देखि सबै अंसुवा मिलि गारत ,
राजा अ परजा निहारै सबै ,केहू बात चढ़ावत केहू उतारत /
सूरज-चान लखै बदरा,केहू मेटत बा केहू बा कुछ पारत ,
खोजाति बा सुघरी -सुघरी अंगुरी त मिलै,मुनरी बा नदारत //
सांप के सूंघे शरीर भै सुन्न,न काटे पे खून बहै नसिया में ,
आंखि ढपे तरुवा चटकै,चिनगी बरसै पुतरी अंखिया में /
धई मथवा,हथवा बईठै,कहूँ ,ना गिरलीं रहिया -बटिया में ,
हे !भगवान् ई का कइला ,मुनरी न मिलै अंगुरी गंठिया में //
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