रविवार, अगस्त 02, 2009

शकुंतला तृतीय खंड

आवती चांन अन्हारे में आवत है ,दिन लईक़े जहान में सूरज आवे ,
साँझ -विहान कै रंग गुलाबी ,के रोज लगावै, के रोज मिटावै /
बागि लगावै ,के फूल फुलावे, नदी के कछारे बतास डोलावे,
यैसन राज कै राजा बा के ,जे नियाव पे राज चलावै//
ऊंचि अदालत लागलि बा ,ऊपरा बइठल जग -जीतल राजा ,
साजलि बा खोरिया -खोरिया ,भल बाजत बा मन मोहक बाजा//
बाभन बइठल हैं बगले ,अगवां ,बैठे सब सैन समाजा,
फुललि नाही समाति शकुंतला ,भुललि याद भइल फिर ताजा//
जइसन काने सुनात रहल ,वहु से वरियार दुवार किला बा ,
पूरब -पश्चिम -उत्तर -दक्खिन,चारो दिशा मे सिवान मिला बा /
जेके निहारै तैं रात-दिना,नयना तोरे आगे ऊ रूप खिला बा
फरकत दाहिन आँख तबै,अनहोनी बिचार करेज हिला बा //
सोची -संकोची शकुंतला ठाढ़ी खड़ा अगले -बगले गुरुभाई ,
धीरज देत सनेह निचोरत ,आँचर फेरती गौतमी माई /
पाई सनेश नरेश चलें ,इहै जनि दुवारे खड़े द्विज आयी ,
माथ नवाय कहै केस नाथ ,पधारा खुदे न लिहा बोलवाई //
पीयर -पीयर बा धोतिया ,कन्न्ह्वा पे जनेऊ कै बा पियराई ,

जोग कै पोखाल देह निरोग ,आ लाल लिलारे त्रिपुंड लगाई /
बोली मे घोरल बा मिसिरी ,भल विद्या -विवेक कै बा अंगड़ाई ,
हैं असमंजस में नृप देखि के ,साथ मे ई कईसन सुघराई //
सूरज -चान के बीच खरी ,जेस सांझे -बिहाने के है सुघराई /

सोतो आकाश मे ,ई ब्रम्हांड मे,कवने नक्षत्र के बाय ललाई ,
देखि न पउली कबो सपना मे ,औ सोच न पउली ई सुन्दरताई ,
साज कै शान औ विप्र कै मान ,निवाही कहै मानभाव दबाई //
बाधा परे गुरु पूजन पाठ मे,या केहू नीच दिही दुःख भारी ,
या बदरा बरसे वन मे नाही ,सूखती बा फूलवारी नेवारी /
कउन कलेश परल उपरा ,अइला अपुने खुद दास दुआरी ,
नैन निचोरि ,दसो नह जोरि ,धरै द्विज पाव में ताज उतारी //
बोले शकुंतला कै गुरुभाई कि ,हेतु बतावै तो आयल बाटी ,

जानत बाटा कुली बतिया , यही कारन से चुपियायल बाटी /
पूँछत बाटा फेरू हमहीं से ,यही बनवा से तो घायल बाटी ,
सागर मे उतिरायल बाटी कि , जाय जमीनी समायल बाटी //
बाटा ,तबो अनचीन्ह के नाटक से हमके न भुलावा ,

तूँ मृगया मे गुरू -चीन्हततनया से ,मठे में सनेह वियाह रचावा /
पांच दिना कहिके अइला ,फिर गइला न काहें हमे तूँ बतावा ,
अइने गुरू सब जानी खुशी मन ,किएने विदा सब साज सजावा //
ऊहे श कुंतला आइल है ,शरमाइल ठाढ़ बनी अनजानी ,
जे रहनी द्विज कै धेरिया ,उहै आज हई यही राज कै रानी //
पालती बाटी करेजे में ई ,तुहरे कुल वंश कै एक निशानी ,
हे जगनायक ! तू अपनावा ,बड़ी बहिनी मोर बाय नदानी //
डोले आकाश मही धंसी गै ,सगरो ब्रह्माण्ड लगावत फेरा ,
सूरज -चान दूनो छिपी गै ,जेस लागत बा अन्हियारे कै डेरा /
माथ धरै, नृप कान ढ़पे कहै ,यईसन बानी फिरू न उकेरा ,
बाढ़ल बा मरजाद मोरे कुल कै ,महराज !तू पानी न फेरा //
ध्यान न आवत बा कहिया ,हम करतै शिकार मठे चली गईली,
ना घर कै मलिकार तबो ,ओनकी बिटिया से बियाह रचउली/
याद न बा कहिया अपने ,हाथवा अपने घर आगि लगउली,
पाप न बोझाकेहू कै हमे,भगवान! करा तनी बीच -बिचउली //
पाप कुबानी परे जब कान,शकुन्तला,लागत बान कि नाई,
लागली बा अगिया पहिले से,ई देखि के राजा कै नीच -निचाई /
आगे न चीन्हत आज हमें ऊ जे पूजत मोर कबो परछाई ,
दखी न आज मुहां यनकै,अपुनै कहूँ जाय नदी धंसी जाई //
बोली न बा ई त गोली है राजन !जइसे करेजे मे दागत बाटा ,
आज दुवारी पे तू अपने ,अपने कुल -धर्म से भागत बाटा /
पीयत क्रोध कहै द्विज राजन !सूतल बाटा कि जागत बाटा ,
सांवर करतब,झूठ कै पानी,चढ़ावत नीक न लागत बाटा //
जो बहिनी तै धियान धराव ,बजाई के प्रीती कै छूटल तारी ,
शूल धंसल पतझारे कै रोज ,भले सिंचतै रहलू फुलवारी /
तू पुजलू जेके भागीरथी कही,ऊ बनी गईनै नहाने कै नारी ,
राजा न बा कुल फूंकन बा,कै नारी बियाहल बा व्यभिचारी //
बोली शकुन्तला आगे तिराई के ,यइसन नाची नचावा न स्वामी ,
बा जग जाहिर नांव तुहार त ,काजर पोती मिटावा न स्वामी //
राज घराना कै इज्जती इ ,कोलिया -कोलिया में छिटावा न स्वामी ,
पानी नदी कै समुद्र पसारी ,पहाढ़ पे नाय चलावा न स्वामी //
का चुकीगै यतनै दिन में तोहरे अनुराग कै बोझली थाती ?

या जरीगै उवतै वीरवा ,तोरी ,प्रीती में न अखुवाइल पाती ?
लोप करा न अन्हेर करा ,न -बुतावा इमाने कै दीया औ बाटी ,
राजा हया तो नियाव करा ,कुलटा हम बाटी ,कि तू कुल घाटी ?
फूल औ पाती के मंडप में ,बनदेवी के आगे वियाह रचउला ,
लाजी कै बाती का आगे कहीं ,फिर बातिन -बाती में बाती बनउला //
जो भरी आयल मोसे मना,हिगरै वदे राज सनेश सुनवला ,
प्रीति के गायें बजार लगाई के ,राजा भले रोजगार चलउला //
राज समाज बने पथरा ,असमंजस में पुतरी परे डोरा ,
रानी बनउले बा जे घुंघुटा ,उडीगै बिन आन्ही झकोरा //
आगे खड़ा नृप मूरति हवे ,अंखिया चढ़लीं बनी खून कटोरा //
ई तिरिया कै चरित्तर है ,चुटकी लैमारत बाते कै रोरा //
ऊहै मजाक उड़ावत बा ,जेहसे मरजाद कै प्रश्न जूडा बा ,
का दुनियां मरदे के बादे ,मेहरारू कै ना कवनो टुकड़ा बा //
यइसे बिचार उठल उदगार ,बड़ा बरियार फनल झगड़ा बा ,
पूरब से चली घटा ,पछुवां ,भल बादर ले उमडा बा //
मैं हिरनी तरे ढूकल जालों ,तू व्यंग कै बान चलावत जाल्या !
आगि लगाई मोरी देहियाँ ,अपनै दरी नून लगावत जाल्या //
देइ मुनरी अइला हमके ,इहो झूठें बा ,जवन छिपावत जाल्या,
इज्जति का मरदे मेहरारू कै ,जानि के बात बढ़ावत जाल्या //
जोर लगावत माथे पे राजा, बति बा एक होंशी कै रेखी ,
आज दिना मोर सन बा ,भगवान तुहार बा सन लेखी //
भूललिबाटू ,भुलाइल बाटू ,लगावति बाटू फरेब कै शेखी ,
एकउ पंथ से ना जितलू,एक पंथल और अंगूठी देखी//

पंथल ना कवनों छल ना ,छलिया नहिं आयल ,ना कुछ लूटी,
जादू टोना जानी केहू ,टोंगवा गठियउले जड़ी नहीं बूटी //
जिनगी कै सवाल बड़ा ,मोरी इज्जति कै परिमान अंगूठी ,
दून आंखि चली बहतै ,सै गंगवा जमुना चली छुटी//

आपस में बतियावै बै, कहो , मेहरारू बा सनइल ,
ना दुबियो कै कहीं मुनरी भला ,कावदेखाई , बा पगलाइल/
[शीर्ष पर है ]

यहि ओर लखै,वहि ओर लखै,हर ओरी निगाह उठावै-गिरावै,

बी बजा ड़ी पगली , अपुनै -अपनै मरजाद लुटावै/

राज -समाज सबै उठि गै ,तिरिया कै चरित्र कहै गोहरावै,

भै बुत ठाढ़ी,जमीन मे गाड़ी,पछाड़ी-पछाड़ी गिरै फिर धावै//

ध्यान करै -अनुमान करै,मुनरी कै निशान कयास आवै ,

आज मिला अभिमान के हाथे,बड़ा अपमान ,इहै फिर आवै /

कांपति है दरबार के बाहर, हाथ हिलावै ,गोड़ डोला

टूटलि बा सपना कै इमारति,चूर बटोरि के ढेर लगावै//

जे चलनी बनै दुईज कै चान, धरती पे आज उतारलि गईनी,

काल्हि सँवांरलि गइनी सनेह से ,आज उजारिबिगरलि गईनी /

तकदीर लाख अनमोल जे, कगदे तरे फारलि गईनी,

रानी बनै बदे अईली जहाँ ,वहि राज से आज निकरलि गईनी //

सौ -सौ सनेहन कै सपना, अपनी अंखिया से लुटाय चली है ,

गईल दिना कै बिगरलि इज्जति ,बान्हि करेजे मे हाय चली है /

साँच हेराइल झूँठ के भीरि मे, पीसि के माहुर खाय चली है ,

भाई माई के पीछे दुखी ,घवही हिरनी अकुलाय चली है //

आवति बा कपिला के तरे ,मोर राजघराना से डाहिल बेटी ,

गौतमी माई कहै समझाई के ,ना मिलतै मन चाहलबेटी //

वेद औ शास्त्र कहैं निक बा,पति के परछाईं में रहल बेटी ,

सासुर में चाहे जइसे रहै,नाहीं नईहर सोहै वियाहल बेटी //

केहू साथ हमै लई जात न बा ,हम न जनली केहि बाट के भईली,

इज्जति,मोहि -मया सगरो,तोहरे ओनके बीचे बांटी के ईली/

ईसन नाय चलौली शकुन्तला धार के भईली पाट के भईली,

धोबी के कुक्कुर जईसन हम घर कै भईली नहिं घाट कै भईली //

मोर करेज जरल जात बा,तोर करेज शीतल होई ,

ना सुनली कबों यईसन हलि,कबों अगवां नहिं छल होई /

ऊहै दबावल जात रही इहाँ जे कवनो तरे नीहल होई ,

राजा हया तूँ तबो पईबा फल राम के हाथे मे जो बल होई //

तूँ जवने कुल -खूंट के बाटा उहाँ हर साँझ उदासी बा उले,

उलटली राज नियाव के बानी बिना अपराध के फाँसी चढ़उले /

राजा ययाति तोरे पुरखा,अपने ,करनी उपहास करउले,

रानी बनी देवयानी जहां ,वहीं रानी शर्मिष्ठा के दासी बनउले//

मोरे बदे जनु बा ओठघावलि चारो दिशा कवने पड़े जाई,

बाँटे आकाश फाटे जमीन,समुंदर सूखल कहाँ समाई/

आपन केहू देखात बा,जेकरे अगवां, दुःख आपन गाई,

कईसे नियाव के आस करी,जहाँ राजा खुदै यतना अनियाई //

सूरज -चान तनी उता सुनि लेता गोहर मोरी दुखिया कै ,

आज बयार तुहीं रुकि के पोंछतू अंसिया,हमरी अंखिया कै /

माई बा सग भाई बा,केहू गहंकी हमरी मखिया कै ,

छोट बदे अदालत लागति ,बात बा बड़के मुखिया कै

रात-दिना पुजली तोंहके का, यही दिन खातिर जवन देखऊला,

फूल -कली कहि के चुनला,फिर कांकर-पाथर कईके बहला/

आगि लगऊला मोरी जिनगी,अपने कुल-खूंट में दागि लगऊला,

हांकिन-डाँकिन कै हमके ,मेडिया, खोरिया-खोरिया भरमऊला //

बदला लेहला हमसे, कवने जनमे कै जानत बाटी,

खोटि भइल तकदीर कहाँ,इहै बईठी इहां अनुमानत बाटी /

भै फटही लुगरी जिनगी ; टोंगवा,धई सीयत- तनत बाटी,

फाटल जाल बहाय नदी, डिडवा नरई तर छानत बाटी //

यईसन जादू तुहार चलल, हम आम कहै लगली के,

कै चललीं असधार तुहार , थाह लगउली है गाँव -गली के /

पाथर मारि गै बुद्धि मोरे ,समलै केहू हमै पगली के,

चन्दन छांह उजारि के तूं,बईउला है,छाँहें हमैं तितिली के //

जात बा केहू मोरे लगे से,केहू हमरे ढिग आवत नाहीं ,

लात तरे लातियावल बाटी,केहू बांह उठावत नाहीं /

`खेत सँवारे सबै बनलै ' केहू सूखलि थाहि ओनावत नाहीं,

भीजत-तपत जात केहू टुटही, छानियां में बोलवत नाही//

के सग माई है,के सग बाप है,के जनमउले इहो नहि जानी ,

बाबा सनेह से भईली सयान,नेवारी कै लईया तलईया कै पानी /

काने सुनी मनिका महतारी बा ,बाप हैं गाधि लला मुनि ज्ञानी,

तेकर बेटी ढुरै मेडिया-मेडिया,ठिकरा भरि पीयत पानी //

केहू सनेश तनी भेजता,मोरी माई के इन्द्रपुरी से बोलउता ,

मोरी विपत्ति कै ध्यान धराई के,जाई के बाप कै ध्यान तोरोउता/

बेटी तुहार बुरे परिगै ,यही पापी के आय तनी समझउता ,

सोझे मानी मस्ती में बा,यही हस्तिनापुरी में आगि लगउता//

बाबा कण्व के बोलावती बा,ओनकी नेहिया कै सांवरल बेटी ,
आग से डाहलि जाति इहाँ ,तोर पाललि-दुलारलि बेटी/

आय के देखा तनी अपनै,हक़ हारलि देश निकारलि बेटी ,

आज जो अईबा त जीयत पईबा,बिहान से पईबा तू मारलि बेटी //

मोर ढुरै अन्हरी अंखिया,जनु रोवत हैं मठ कै रहवईया,

फूल -कली पगली तितिली ,अंवरा-भंवरा,चकवा औ चकईया/

दहकत आग करेजन मे, थिर न हिरना डुहँकै कहूँ गईया,

नेह निचोरति गौतमी मईया ,त कान्हें पे कान्ह धरे गुरुभईया //

जेके बदे यतना जने रोवत सोवत हैं मुहवाँ धई धोती ,

टूटै पहाड़ करेजन पे अंखिया,भरि आवै समुद्र कै सोती /

तेकर हारलि आज बाजार में माटी मोलवति है धई मोती,

ई राजपूतन कै करनी ,अपुनै अपने मुंह काजर पोती //

माटी में मोहीं मिलऊला तबो,भगवान करै तोर कीरति बाढ़े,

पास-परोस में देश -विदेश ,आकाश -पताल में तूँ रहा ठाढ़े /

देखै कुभाव-कुनेह से जे,ऊ खुदै अपनी तकदीर के डाढ़े,

तूँ पुतरी से गिरऊला हमैं,तोर राम करै केहू काजर काढ़े //

काल्हि के रूप अ आज कै रंग,बिहान के पानी कै का गति होई,

ई बचकानी के भूल सयानी,ई बूढ़ी जवानी कै का गति होई /

काल्हि कै सुनल आज कै देखल ,आगे कहानी कै का गति होई ,

पालल मोर सनेह कै फूल,ऊ तोरे निशानी कै का गति होई //

माई के बाहीं बाप के छाहीं ,खिली फुलवा जब होई दिवाना,

होतै सयान समाज लगी पूछैं बाप कै नांव अ पता ठेकाना //

ना ढीठियारे के आंची लगी कुछ ,काना कै नांव सुने जरी काना ,

नौ -नौ पांती कै आंसू ,ढुरी जब ,मारी जमाना साधि के ताना //

आपन सोचि बाय हमैं ,हमतो भइली जग बीच उघारी ,

प्रीति परोसल गै हमरी,अंगना- अंगना दुवारी -दुवारी //

अनजाने कै दोष इहै ,तोर रूप धरै बसि कोखि हमारी,

काठ करेज से करा ,कंकरी के चोरउले मारा कटारी //

रोवत देखि शकुन्तला के ,खोंतवा-खोंतवा चिरई अकुलानी ,

पाथर फोरि पहाड़ ढुरै ,डुहुंकै नदिया समुद्र कै पानी /

देव रोवैं, देवराज रोवै सब ,राज-समाज रोवैं देव रानी ,

आज के दै अंकवारि संवारि के,भूत-भविष्य कै रोवै कहानी //

पात झरै बनपेड़से,नवधा फुनगी-फुलवा कुम्हिलईने,

जंगल के पशु-पांखी रोवै,भँवरा संग आज बतास हेरइने/

सूरज-चान ढुरै अंसिया,रोवतै रहनै रोवतै रहि गईने,

घेरे शकुन्त शकुन्तला के,खलियै खोंतवा खलियै रहि इने//

लै सुसुकी डुहँकै बिटिया,महतारी करेज के फारत जाले,

टेर सुनी अधीर भई,जिनगी मोर आज अकारथ जाले/

भै अजगूत, कहीं अन्हियार,कहीं उजियार उतारत जाले,

लै बिटिया के आकाश चली,बदरा अंचरा तर फारत जाले //

[चतुर्थ खण्ड]

भूख-पियास कै ई दुनिया,न अघाई कबों,रोवतै रही रीती ,

आपनि बानि न देखी कबों,दुसरी अंखिया सपना परतीती /

ई दुनिया कै इहै सच बा,केहू हारी इहाँ न केहू इहाँ जीती ,

लाख-करोर के बाति इहै,पछताई मना जब अवसर बीती //

ई जिनगी त बनी पहिया,कबों खाले पड़ी त पड़ी कबों ऊंचे,

दूर सिवान में जाई भुलाई तो,पूँछि चली,कबहूँ बिन पूंछे /

बोझल जाई अ बोझल आयी,कबों दिन-रात चली व्है छूंछै,

का पवला ठुकराई शकुन्तला के , जाय केहू दुष्यंत से पूंछे //

भै दुर्वाशा कै शाप सकारथ,ई मुनरी कईले बड़ खेला ,

राज के ताज पे जे रहलीं,ई बनउले है ओके सिवाने कै ढेला/

फेरत नाहीं अबेर लगै,शमशान बनावै जहाँ रहै मेला ,

कईसे बखान करी भगवान,जहान तुहार बड़ा अलबेला //

पानी के पूजा में मुनरी,अंगुरी से गिरल पनिया मे समाइल,

जाय गिरी मुह मे मछरी के, फेरति पाँखि लगा चलि आईल/

आईल बाजार में एक दिना,माछुवारा के हाथे से पेट फराईल,

रंगदार बड़े नग कै मुनरी,झलकै अंखिया चुन्हियाईल//

भै चरचा मुनरी-मुनरी,जब राजा के कान पड़ी यह बानी,

चाकर भेजि मगाय लिहे,अपनी उजरी नेहिया के निशानी/

नैन पड़े चित चैन उड़े,मन में हरियाईल घाव पुरानी ,

टूटि पहाड़ गिरै उपरा,हड़होरल जईसे समुद्र कै पानी //

ठाढ़ भई पुतरी खड़ी जेस,सांसिन पै किरिया झट लागी,

नील अकाश लगे सतरंग,दुनहूं अंखिया सरिता तट लागी /

भूललि याद कयासे परै,परतै-परतै उतरै चट लागी ,

हाय शकुन्तला! हाय शकुन्तला!,हाय शकुन्तला कै रट लागी//














































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें