गुरुवार, अगस्त 06, 2009

शकुन्तला और दुष्यंत की प्रेमकथा भोजपुरी भाषा में



शकुन्तला और दुष्यंत की प्रेमकथा भांति - भांति के रंगों से सजी हुई है। खासकर इस प्रेमकथा के विरह वर्णन का तो कोई विकल्प ही नही दिखाई देता है। बस इसी को सहेजा है आपके इस भाई ने शकुन्तला और दुष्यंत की प्रेमकथा भोजपुरी भाषा में ......
डॉ ईश्वरचंद्र त्रिपाठी
कृपया अपने सुझाव मेरे मोबाईल नम्बर ९४५५८८५८६६ या मेरे ईमेल पते itshakuntla@gmail.com पर अवश्य दे । हमें आपके अमूल्य सुझावों का इंतजार रहेगा । बस इसी आशा के साथ
आपका अपना अनुज ......
डॉ ईश्वरचंद्र त्रिपाठी
व्याख्याता ( बी .एड .विभाग )
श्री दुर्गा जी स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय , चण्डेश्वर, आजमगढ़

12 टिप्‍पणियां:

  1. पंडित जी
    वाकई उच्च कोटी का ब्लॉग है

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  2. आपका स्वागत है इस आलेखन को जारी रखिये जी
    सादर
    गिरीश बिल्लोरे मुकुल
    http://voi-2.blogspot.com/

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  3. आपका प्रयास वन्दनीय है. सादर समर्पित दोहे. दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम से जुडें, पढें, लिखें, टीप करें.

    भोजपुरी दोहे:

    आचार्य संजीव 'सलिल'

    कइसन होखो कहानी, नहीं साँच को आँच.
    कनके संकर सम पूजहिं, ठोकर खाइल कांच..

    कतने घाटल के पियल, पानी- बुझल न प्यास.
    नेह नरमदा घाट चल, रहल न बाकी आस..

    गुन अवगुन कम- अधिक बा, ऊँच न कोइ नीच.
    मिहनत श्रम शतदल कमल, मोह-वासना कीच..

    नेह-प्रेम पैदा कइल, सहज-सरल बेवहार.
    साँझा सुख-दुःख बँट गइल, हर दिन बा तिवहार..

    खूबी-खामी से बनल, जिनगी के पिहचान.
    धुप-छाँव सम छनिक बा, मन अउर अपमान..

    सहारण में जिनगी भयल, कुंठा-दुःख-संत्रास.
    केई से मत कहब दुःख, सुन करिहैं उपहास..

    फुनवा के आगे पडल, चीठी के रंग फीक.
    सायर सिंह सपूत तो, चलल तोड़ हर लीक..

    बेर-बेर छटनी क द स, हरदम लूट-खसोट.
    दुर्गत भयल मजूर के, लगल चोट पर चोट..

    दम नइखे दम के भरम, बिटवा भयल जवान.
    एक कम दू खर्च के, ऊँची भरल उडान..

    *******************

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  4. मीत गीत के
    जलो दीप बन.
    तिमिर पान कर
    अमर रहो..

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  5. बहुत उत्तम कार्य करने के लिये आपने कमर कसी है।
    शुभकामनाएँ!!!

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  6. शुभकामनाएँ..उत्तम प्रस्तुति !

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  7. Bhojpuri ka apna ek alag hi andaar hai, par aajkal ka geet sangeet ne uski garima ko thes pahunchane mein koi kor kasar nahi chhod rahi hai...
    Bahut shubhkamnayne,..

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  8. नव संवत्सर मंगलमय हो.
    हर दिन सूरज नया उदय हो.
    सदा आप पर ईश सदय हों-
    जग-जीवन में 'सलिल' विजय हो..

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  9. बहुत दिनों बाद मुझे आज़मगढ़ से कोई ब्लागर मिला.. वो भी दुर्गा जी की छत्र छाया तले हमने अपने बचपन के कुछ पल जिये हैं..
    कक्षा ६ में पहली बार मेरे पापा ने मेरा दाखिला वहाँ (श्री दुर्गा जी स्नातकोत्तर महाविद्यालय) करवाया था शायद उनका कोई मित्र वहाँ अध्यापक था.. वही मुझे छोड़ आये थे लेकिन २-३ महीनों बाद मैं वहाँ से लौट आया लेकिन आज भी वो दुर्गा जी का मन्दिर याद आता है जब भी घर जाता हूँ एक बार वहाँ जरूर जाता हूँ..
    शायद आपके यहाँ कोई कपिलदेव पांडे जी हैं. हिन्दी या संस्कृत के अध्यापक है..
    वो हमारे पड़ोसी है.. और शायद मुझे जानते और पहचानते भी हैं.. :)

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  10. अभी इधर उधर के छोटे स्कूलों और चिल्ड्रेन कॉलेज से होते हुए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी तक का सफर हुआ है.. देखें ये रास्ते मुझे और कहाँ ले जाते हैं..
    शकुन्तला और दुष्यंत की प्रेमकथा भोजपुरी भाषा में.., ऐसा सुनकर पढ़ने की इच्छा हुई है.. देखे कब पूरी होती है..

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